Sunday, January 21, 2018

बड़े होते बच्चे



बार-बार सवाल करते हैं बड़े होते बच्चे
 गलत , सही का तत्काल फैसला माँगते हैं
वे नहीं समझते कि ये कोई बच्चों का खेल नहीं है
यहाँ कानून बंदी है चंद रसूखदारों की जेब मे
जब वे बड़े हो जाएंगे तो जानेंगे
कि कई निर्दोष
उन
खामोश वहशी गलियारों में निर्णय की इंतजारी में साँसों को छोड़ बैठे हैं ,
वे तब जानेंगे कि सत्य न्याय सब धोखा है
और चीख एक काले पहाड़ से टकरा-टकरा कर रेगिस्तान में दम तोड़ देती है
वे समझेंगे कि न्याय और सिक्कों की खनक में गहरा रिश्ता है
और चुप रहना सीख जाएँगे!
ठीक मेरी तुम्हारी तरह-----------

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